अध्यात्म और आत्म को समाहित कर अभिव्यक्ति का प्रयास है ......वैसे भी ये अन्तर -अन्वेषण प्रति दिन के जीवन में महत्वपूर्ण है.
"आगमन' के उन क्षणों में
था में अतीत मुक्त
भविष्ययुक्त मात्र भविष्ययुक्त
'गमन' के उन क्षणों में
पुनः हो जाऊंगा अतीत युक्त"आगमन' के उन क्षणों में
था में अतीत मुक्त
भविष्ययुक्त मात्र भविष्ययुक्त
'गमन' के उन क्षणों में
मात्र अतीत युक्त
गमन-आगमन के इस वृतांत में
होगा एक 'मध्यांतर' भी
जिसे हम जीवन कहेंगे
चाहूँगा ये मध्यांतर हो
गमन-आगमन के इस वृतांत में
होगा एक 'मध्यांतर' भी
जिसे हम जीवन कहेंगे
चाहूँगा ये मध्यांतर हो
कालातीत ,कालनिरपेक्ष .
......और निसंदेह कालजयी ."
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बोल ये थोडा वक़्त बहुत है ,जिस्म-ओ-ज़बाँ की मौत से पहले .......