"पुरानी
कुछ यादें अब मानस पटल पर विचर रही हैं क्यूंकि मेरा तीन साल पुराना कार्य
स्थल मैं छोड़ रहा हूँ .तीन साल बहुत सरे साथी,बहुत सी खट्टी,मीठी,कडवी
घटनाएं सब यद् आता है तो ये ख्याल आता है"-
"यादों के वन वन ,है भटके मेरा मन
सदायें किस कदर बेरहम हो चली हैं?
चेतना को चुभते हैं कुछ शूल तीखे
वेदनाएं अब अपने चरम से मिली है
यादों के इस भीषण संघर्ष से जनित
जय और पराजय दोनों ही भली हैं ."
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बोल ये थोडा वक़्त बहुत है ,जिस्म-ओ-ज़बाँ की मौत से पहले .......