पेड़ो के अंतस में ज़रूर गहरे घाव हैं।
इतना गहरा हरापन !
छेड़े हुए घाव ही दे सकते हैं।
मेरे विस्मय का आधार घाव नहीं वो भाव हैं,
जिनके अवलम्बन से तनता है, इनका तना,
जिनके नियमन से निखरता है, इनका सौंदर्य,
जिनके समंजन से दशा-दिशा नहीं खोते बल्कि वायु के वेग को मान दे कर झुक जाते हैं।
मर्म के भाव और चर्म पर पड़ते प्रभाव के मध्य संतुलन विस्मित करता है,
घाव, हरापन, पेड़ या डार्विन
'सर्वोत्तम की उत्तरजीविता 'के सिद्धांत का प्रतिपादक कौन है?
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बोल ये थोडा वक़्त बहुत है ,जिस्म-ओ-ज़बाँ की मौत से पहले .......