रोको मत मुझको बढ़ने दो
टोको मत बस मुझे कहने दो
मुझे हद से आज गुजरने दो
तुम हद से आज गुजरने दो
जीवन की बोझिल राहों से
कुछ स्वर्णिम स्वप्न तो चुनने दो
मुझे जीवन सप्तक सुनने दो
रोको मत मुझको बढ़ने दो
टोको मत बस मुझे कहने दो
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जब शब्द मिलेंगे जीवन को
तो सृजित होंगी सुन्दर रचना
मुख की जिव्हा भले मौन रहे
चीखेगी अपनी अंतर रसना
वाणी को मुखरित होने दो
वर्णों को आज विचरने दो
जीवन की नीरव राहों में
सृजन के कुछ स्वर भरने दो
रोको मत मुझको बढ़ने दो
टोको मत बस मुझे कहने दो
सृजन के कुछ स्वर भरने दो
रोको मत मुझको बढ़ने दो
टोको मत बस मुझे कहने दो
रचना होगी
जवाब देंहटाएंज़रूर होगी
बूँद बनती है सागर
अतल में खोने के बाद
स्वप्न होता है फलित
विसर्जित होने के बाद
रचना होगी
ज़रूर होगी ...
एवमस्तु!
जवाब देंहटाएंधन्यवाद ,प्रेम जी ,ब्लॉग पर आकर स्नेह देने के लिए .सुन्दर शब्द भावानुभूति से भरे हो तो दोतरफा तुष्टि देते हैं .प्यार बनाये रखें.
sundar rachna...badhaai
जवाब देंहटाएंSundar and really sir your are a poet acha lga yeh sun ke
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